निमिषा प्रिया की आखिरी उम्मीद भी टूटती दिख रही है,जानिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या बताया...

Authored By: News Corridors Desk | 14 Jul 2025, 02:52 PM
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हत्या के मामले में यमन की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया को बचाने की आखिरी उम्मीद भी अब खत्म होती दिख रही है । निमिषा की मौत की सजा के लिए 16 जुलाई की तारीख मुकर्रर की गई है । यानि अब सिर्फ दो दिन बचे हैं लेकिन अबतक बचाव का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है । 

आखिरी उम्मीद केंद्र सरकार पर टिकी थी जिसके लिए परिजनो ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी । परन्तु केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह इस मामले में ज़्यादा कुछ नहीं कर सकती । 

सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा सरकार ने ?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि निमिषा प्रिया को यमन के कानून के अनुसार मौत की सजा सुनाई गई है और इसे रोकने का एकमात्र रास्ता यही है कि मृतक के परिवार को ब्लड मनी (वित्तीय मुआवजा) दिया जाए और वे इसे स्वीकार करें।

सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने अदालत को बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, लेकिन यमन के कानूनों में ब्लड मनी (मुआवजा राशि) स्वीकार करना एक निजी मामला होता है और भारत सरकार इसमें सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

 उन्होंने कहा, हमने जितना संभव था, उतना प्रयास किया, लेकिन अब हमारे पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचा है।  सरकार का कहना है कि किसी देश के कानून में हस्तक्षेप की एक सीमा होती है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह जानना चाहा कि क्या सरकार ब्लड मनी की पेशकश के जरिए यमनी परिवार से बातचीत की पहल कर सकती है । इस पर सरकार ने साफ किया कि यह पूरी तरह पीड़ित परिवार की इच्छा पर निर्भर करता है ।

बता दें कि निमिषा के परिजनों और शुभचिंतकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आग्रह किया गया है कि भारत सरकार का कोई प्रतिनिधि पीड़ित परिवार से संपर्क करे ताकि ब्लड मनी को लेकर सहमति बनाई जा सके । याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि वे मुआवजे की राशि बढ़ाने को तैयार हैं।

कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला ?

निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली एक नर्स हैं। वे साल 2008 में वह नर्सिंग के काम के लिए यमन गई थीं । बाद में उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लीनिक शुरू किया। लेकिन रिश्तों में कड़वाहट आने के बाद साल 2017 में महदी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई और निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया।

यमन की पुलिस का दावा है कि निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा की ज़्यादा मात्रा देकर उसकी हत्या कर दी। जबकि निमिषा का कहना है कि उन्होंने जानबूझकर किसी की हत्या नहीं की। उनका इरादा सिर्फ अपना पासपोर्ट वापस लेने का था, जिसे महदी ने जबरन छीन लिया था। निमिषा के अनुसार महदी ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था, उनके पैसे और पासपोर्ट छीन लिए ताकि वह वापस भारत न लौट सके ।

 अब यमन में निमिषा के पास बचाव का एक ही रास्ता बचा है और वो यह है कि, यदि मृतक तलाल अब्दो महदी का परिवार उन्हें माफ कर दे। यमन की शरिया कानून के मुताबिक, अगर कोई परिवार हत्या के बदले "ब्लड मनी" (दियाह) यानि आर्थिक मुआवजा स्वीकार कर ले और माफी दे दे, तो मौत की सजा टाली जा सकती है । इसी आधार पर निमिषा के परिजन और समर्थक अब मुआवज़े की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन महदी के परिवार ने अब तक इसे स्वीकार नहीं किया है।