बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक चल रही है। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हैं। बैठक की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रसिद्ध तबला वादक ज़ाकिर हुसैन, गायक श्याम बेनेगल, अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय, केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रधान और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा समेत कई महान विभूतियों को श्रद्धांजलि देकर की गई।
मणिपुर में शांति स्थापना को लेकर चर्चा
RSS के सह-सरकार्यवाह सीआर मुकंदा ने मणिपुर की स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हालात पूरी तरह ठीक नहीं हैं, हालांकि सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 20 महीनों से वहां जो संकट बना हुआ है, उसे हल करने में अभी और समय लगेगा। संघ ने भी अपनी ओर से शांति स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं।
परिसीमन पर RSS का रुख
बैठक में परिसीमन (डिलिमिटेशन) को लेकर भी चर्चा हुई। सीआर मुकंदा ने स्पष्ट किया कि गृह मंत्री पहले ही संसद में कह चुके हैं कि सीटों का विस्तार मौजूदा अनुपात के आधार पर होगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन पर हो रही राजनीतिक बहस से बचना चाहिए क्योंकि यह विवाद राष्ट्र के हित में नहीं है।
मातृभाषा और भाषा विवाद
देश में चल रहे भाषा विवाद को लेकर RSS ने अपना रुख स्पष्ट किया। सीआर मुकंदा ने कहा कि संघ मातृभाषा को सर्वोपरि मानता है और थ्री लैंग्वेज फॉर्मूले (त्रिभाषा सिद्धांत) पर कभी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि रोजगार और अन्य आवश्यकताओं के लिए दूसरी भाषा सीखना जरूरी हो सकता है, लेकिन मातृभाषा का सम्मान सबसे पहले होना चाहिए।
भारत को मजबूत बनाने पर जोर
बैठक में विभिन्न हिंदू प्रतिनिधियों, इस्कॉन जैसे धार्मिक समूहों और सामाजिक संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने भारत को मजबूत बनाने के लिए समाज और संस्कृति को प्राथमिकता देने पर विचार साझा किए। बैठक में आत्मनिर्भर भारत, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता को लेकर भी चर्चा की गई।