कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में 9 जुलाई को शाम करीब पांच बजे पुलिस गश्त पर थी । यह एक पहाड़ी इलाका है और कुछ दिनों पहले यहां लैंडस्लाइड की घटना हुई थी । इसलिए पुलिस टूरिस्ट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रामतीर्थ पहाड़ी क्षेत्र में विशेष रूप से नजर रख रही है ।
गश्ती के दौरान गोकर्ण पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर श्रीधर की टीम को पहाड़ी की गुफा के पास कुछ हलचल दिखी । जब वो झाड़ियों से गुजरते हुए वहां पहुंचे तो यह देख कर हैरान रह गए कि उस जंगल के बीच उस सुनसान और बेहद खतरनाक गुफा में एक रूसी महिला अपनी दो छोटी-छोटी बेटियों के साथ रह रही है । वहां उन्होंने एक रूद्र की मूर्ति रखी थी और दिन-रात पूजा और ध्यान करती थीं । उसका कहना है कि वह भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से बहुत प्रभावित है ।
राहत की बात ये थी कि महिला और उसके दोनों बच्चे स्वस्थ्य थे । पुलिस के मुताबिक वो लोग जिस गुफा में रह रहे थे वहां सांपों और अन्य जंगली जानवरों के साथ-साथ भू-स्खलन का भी खतरा रहता है । महिला का नाम नीना कुटिना उर्फ मोहिनी है । पुलिस के मुताबिक वह अपनी बेटियों प्रेया (6) और अमा (4) के साथ करीब दो हफ्ते से रह रही थी ।
ध्यान और एकांत की तलाश में पहुंची थी जंगल
पूछताछ के दौरान नीना ने बताया कि वह गोवा से गोकर्ण आई थीं । उनका कहना था कि वे शहरी जीवन से थक चुकी थीं और मानसिक शांति पाने के लिए ध्यान व साधना करने जंगल आई थीं। नीना ने जानबूझकर एकांत और खतरनाक गुफा को अपना ठिकाना बनाया, ताकि किसी से कोई संपर्क न रहे।
जब अधिकारियों ने महिला से पासपोर्ट और वीजा के बारे में जानकारी मांगी, तो वह जवाब देने से बचती रही । काफी देर बाद उसने कहा कि उसके सारे दस्तावेज गुफा में कहीं खो गए हैं । इस पर गोकर्ण पुलिस और वन विभाग ने मिलकर एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया । तलाशी में उसका पासपोर्ट और वीजा दस्तावेज मिल गया।
2017 में कमर्शियल वीजा पर भारत आई थीं नीना कुटीना
अधिकारियों ने जब नीना कुटीना के बारे में जांच शुरू की तो पता चला कि वह 17 अप्रैल 2017 को कमर्शियल वीजा पर भारत आई थीं । 19 अप्रैल 2018 को गोवा के एफआरआरओ (FRRO) की तरफ से उसे एग्जिट परमिट जारी किया गया था । इसके बाद वह नेपाल चली गई और फिर 8 सितंबर 2018 को भारत में दोबारा दाखिल हुई। तब से अब तक वह भारत में ही रह रही है ।
नीना और उसकी दोनों बेटियों को कारवार स्थित महिला स्वागत केंद्र में सुरक्षात्मक हिरासत में रखा गया है । साथ ही उन्हें बेंगलुरु ले जाकर डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है । स्थानीय एनजीओ की मदद से रूसी दूतावास से संपर्क किया गया है और सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं ।