कर्नाटक विधानसभा में सरकारी ठेकों में चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण लागू करने वाला बिल पास हो गया है, जिसके बाद इस मुद्दे पर बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक हंगामा मचा हुआ है। विपक्षी दलों ने इस बिल का जोरदार विरोध किया है, वहीं बीजेपी ने इसे ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ करार दिया है।
क्या है यह बिल?
नए विधेयक के अनुसार, मुसलमानों को सरकारी ठेकों में 4% आरक्षण मिलेगा, जिसका लाभ उन्हें 2 करोड़ रुपये तक के टेंडर में दिया जाएगा। यह आरक्षण ओबीसी श्रेणी 2B के तहत दिया गया है।
बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने इस बिल को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ओबीसी और पिछड़ी जातियों के अधिकारों का हनन है और यह कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण नीति का हिस्सा है।
बीजेपी ने बताया ‘मुस्लिम बजट’
बीजेपी नेताओं ने इस बिल के साथ-साथ कर्नाटक सरकार के बजट पर भी सवाल उठाए हैं। संबित पात्रा ने इसे 'मुस्लिम बजट' बताते हुए कहा कि सरकार ने मुसलमानों के लिए कई विशेष योजनाएं लागू की हैं, जिनमें शामिल हैं:
इमामों को 6,000 रुपये भत्ता
वक्फ बोर्ड के लिए 150 करोड़ रुपये
बेंगलुरु में हज भवन का विस्तार
मुस्लिम लड़कियों के लिए 50,000 रुपये विवाह सहायता
उर्दू स्कूलों के लिए 100 करोड़ रुपये
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ITI कॉलेज
मुस्लिम छात्राओं के लिए सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग
‘आलमगीर राहुलजेब’ पर सियासत गरमाई
संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी को ‘आलमगीर राहुलजेब’ कहकर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस का तुष्टिकरण एक दिन 4% से बढ़कर 100% तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि यह 'वक्फ बोर्ड लैंड जिहाद' और अब 'कॉन्ट्रैक्ट जिहाद' की ओर बढ़ रहा है।
इस बयान के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए बीजेपी को ‘ध्रुवीकरण की राजनीति’ करने का आरोप लगाया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और तीखी बहस होने की संभावना है।