जहाँ ज़िंदगी के हर पल कीमती हो, वहाँ अब इलाज भी पंख लगाकर आएगा- एयर एंबुलेंस के साथ अब गोल्डन ऑवर वाकई ‘गोल्डन’ होगा। अब मरीज उड़ते एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचेंगे, वो भी टाइम पर।
भारत अब आपातकालीन इलाज के लिए नई तकनीक की ओर बढ़ रहा है। जल्द ही देश में ऐसी एयर एंबुलेंस शुरू होने जा रही हैं, जो ड्रोन जैसी दिखेंगी और सीधे जमीन से उड़ान भर सकेंगी। इन्हें वीटीओएल (वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग) कहा जाता है। इनका मकसद है, कि गंभीर मरीजों को जल्दी से अस्पताल पहुंचाया जा सके, ताकि ट्रैफिक या दूरी की दिक्कत से इलाज में देरी न हो।
इमरजेंसी सेवाएं: एरोमेड इंटरनेशनल रेस्क्यू सर्विसेज और सरला एविएशन!
एरोमेड इंटरनेशनल रेस्क्यू सर्विसेज और सरला एविएशन ने मिलकर काम करने का फैसला किया है। वे बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में छोटे और खास तरह के विमान लेकर इमरजेंसी सेवाएं शुरू करेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि गंभीर मरीजों को हादसे के बाद पहले एक घंटे के अंदर सही इलाज मिल सकेगा, जिससे उनकी जान बच सकती है।
ड्रोन जैसी एयर एंबुलेंस से मरीजों की जान बचाने की कोशिश
विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत जैसे भीड़-भाड़ वाले और ट्रैफिक वाले देश में यह नई तकनीक बहुत काम आएगी। सरकार चाहती है कि मरीजों को हादसे के पहले घंटे यानी ‘गोल्डन ऑवर’ में जल्दी से अस्पताल पहुंचाया जाए, इसलिए एयर एंबुलेंस जैसी सेवाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ड्रोन जैसी एयर एंबुलेंस में क्या होगा खास?
इन ड्रोन जैसे छोटे विमानों में दवाइयां, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और डॉक्टर या पैरामेडिक्स के लिए जगह होगी। ये सीधे ऊपर से उड़ान भर सकते हैं और अस्पताल की छत या जमीन पर आराम से उतर सकते हैं। इससे मरीजों को जल्दी और आराम से अस्पताल ले जाया जा सकेगा। ये विमान पुराने एयर एंबुलेंस से सस्ते और भरोसेमंद होंगे।
भारत में एयर एंबुलेंस की नई पहल
हाल ही में एम्स ऋषिकेश में देश की पहली मुफ्त हेलीकॉप्टर आपातकालीन सेवा शुरू हुई है। इससे पहले कर्नाटक (2016) और मध्य प्रदेश (2024) ने भी ऐसी सेवाएं शुरू की थीं। खासकर दूर-दराज और मुश्किल इलाकों में ‘गोल्डन ऑवर’ का पालन बहुत जरूरी होता है।