बुधवार को राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए कदमों और पाकिस्तान पर की गई कार्रवाई का विस्तार से ब्योरा दिया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष के हर सवाल का स्पष्ट और दो टूक जवाब दिया। खास तौर पर, पीएम मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कथित फोन कॉल के आरोपों पर जयशंकर ने साफ कहा, "कान खोलकर सुन लें, 22 अप्रैल से 16 जून तक पीएम मोदी और ट्रंप के बीच एक भी फोन कॉल नहीं हुई थी।"
भारत की कठोर कार्रवाई
जयशंकर ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने कई निर्णायक कदम उठाए। सिंधु जल समझौते को रद्द कर पाकिस्तान को पानी की कमी का अहसास कराया गया। साथ ही, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा पर रोक लगा दी गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पहलगाम में रेड लाइन पार की थी, जिसका जवाब भारत ने कठोर कार्रवाई के जरिए दिया।
नेहरू सरकार पर कटाक्ष
विदेश मंत्री ने नेहरू सरकार के दौरान हुए सिंधु जल समझौते पर तंज कसते हुए कहा कि यह एक अनूठा समझौता था। उन्होंने कहा, "दुनिया में ऐसा कोई दूसरा समझौता नहीं है, जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को बिना अधिकार के दूसरे देश में बहने दिया हो।" उन्होंने इस समझौते को असाधारण बताते हुए कहा कि इसे स्थगित करने का निर्णय ऐतिहासिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
पाकिस्तान को कड़ा दिया संदेश
जयशंकर ने पाकिस्तान को साफ-साफ चेतावनी दी कि जब तक वह आतंकवाद को पूरी तरह समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल समझौता स्थगित रहेगा। उन्होंने कहा, "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।" विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। इस दौरान विपक्ष के शोर-शराबे पर उपसभापति ने टोकते हुए कहा कि सीट पर बैठकर बोलना उचित नहीं है।
विपक्ष पर साधा निशाना
जयशंकर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब हम इतिहास और तथ्यों की बात करते हैं, तो कुछ लोग परेशान हो जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह स्वयं इन तथ्यों से परेशान नहीं हैं। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि भारत-पाक तनाव के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई थी।