देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज सामने आ रहे हैं। 19 जून को हुए मतदान के बाद आज वोटों की गिनती जारी है। हालांकि गुजरात की दो सीटों पर तकनीकी कारणों के चलते 21 जून को दोबारा मतदान कराया गया। इन चुनावों का सीधे तौर पर किसी राज्य की सत्ता पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए यह उपचुनाव अहम हैं—खासतौर पर आम आदमी पार्टी के लिए, जो राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।
गुजरात: विसावदर में आप उम्मीदवार आगे, त्रिकोणीय मुकाबला बना दिलचस्प
गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार गोपाल इटालिया 391 वोटों से आगे चल रहे हैं। उनके पीछे भाजपा के किरीट पटेल हैं। यह सीट पूर्व आप विधायक भूपेंद्र भयानी के भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई थी। इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
दूसरी ओर, कडी विधानसभा सीट पर भी कड़ी टक्कर चल रही है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां भाजपा ने राजेंद्र चावड़ा, कांग्रेस ने रमेश चावड़ा और आप ने जगदीश चावड़ा को मैदान में उतारा है। यह मुकाबला भी बेहद रोचक बना हुआ है।
पश्चिम बंगाल: सत्तारूढ़ दलों की प्रतिष्ठा दांव पर
पश्चिम बंगाल की एक सीट पर उपचुनाव हुआ, जहां तृणमूल कांग्रेस (TMC), भाजपा और वामपंथी दलों के बीच मुकाबला देखा गया। नतीजों पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता की परीक्षा मानी जा रही है।
केरल: कांग्रेस उम्मीदवार को शुरुआती बढ़त, नीलांबुर सीट बनी सेंटर ऑफ अट्रैक्शन
केरल की नीलांबुर सीट पर कुल 19 राउंड की गिनती होनी है। चार राउंड पूरे हो चुके हैं और कांग्रेस उम्मीदवार आर्यदन शौकत को अब तक 15335 वोट मिले हैं। उनके पास 2286 वोटों की बढ़त है। यह सीट कांग्रेस के लिए अहम मानी जा रही है क्योंकि राज्य में पार्टी की साख को नया बल मिल सकता है।
पंजाब: लुधियाना पश्चिम से आप को बढ़त, केजरीवाल के लिए खुल सकता है राज्यसभा का रास्ता
पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट से आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा आगे चल रहे हैं। उन्हें 2482 वोटों की बढ़त मिली है और भाजपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर हैं। यदि आप यहां जीत दर्ज करती है, तो उसे एक अतिरिक्त राज्यसभा सीट मिल सकती है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि इस सीट से अरविंद केजरीवाल खुद राज्यसभा में जा सकते हैं, जिससे उन्हें दिल्ली की राजनीतिक सीमाओं से बाहर राष्ट्रीय स्तर पर नई भूमिका मिल सकती है।