उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में सनातनी आस्था का अलौकिक समागम महाकुंभ का समापन हो चुका है । 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चले महाकुंभ में 67 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया । त्रिवेणी में डुबकी लगाने वालों का ये आंकड़ा अमेरिका की कुल आबादी का करीब दो गुना, पाकिस्तान की जनसंख्या का ढाई गुना और रूस की आबादी का साढ़े चार गुना है ।
महाकुंभ में इस बार आम लोगों के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, अधिकारियों और फिल्मी सितारों ने डुबकी लगाई ।
इतना ही नहीं भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा समेत 73 देशों के डिप्लोमेट्स और करीब 50 लाख विदेशी नागरिक भी संगम में डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज पहुंचे ।
प्रयागराज का यह महाकुंभ कई मायनों में बेहद खास रहा है । यहां आए श्रद्धालुओं की संख्या ही नहीं बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था और आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से भी यह आयोजन अद्वितीय रहा है ।
कुंभ क्षेत्र और टेंट की व्यवस्था
महाकुंभ क्षेत्र 4 हजार हैक्टेयर में फैला था जिसमें 4 लाख से ज्यादा टेंट बनाए गए थे । इनमें साधु-संत और संन्यासियों के ठहरने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। अखाड़ों और बड़े साधु संतों के लिए 85 भव्य पंडाल, 50 से ज्यादा अस्थाई आश्रम तैयार किए गए थे।
इसके अलावा 10 लाख कल्पवासियों के रहने के लिए 4 लाख टेंट की बड़ी व्यवस्था की गई थी। बाबा और संन्यासियों के लिए भी अलग से 500 टैंट बनाए गए थे। VIP लोगों के रुकने का भी खास खयाल रखा गया । 150 महाराजा टेंट, 1500 सिंगल रूम वाले और 400 फैमिली टेंट भी बनाए गए थे।
सेक्टर, सड़क और सुरक्षा
कुंभ क्षेत्र में 25 सेक्टर्स बनाए गए थे ताकि व्यवस्था को सुचारू रुप से संचालित किया जा सके । श्रद्धालुओं के नहाने के लिए 13 किलोमीटर लंबे एरिया में 42 घाट बनाए गए थे जिसमें 10 पक्के घाट शामिल थे ।
गंगा यमुना को पार करने के लिए 30 पांटून पुल का भी निर्माण किया गया था । सड़क निर्माण के लिए 651 किमी की चकई प्लेट बिछाई गई । इनसे 2 हाई-वे और 200 नई सड़कें बनाई गईं। बेला कछार में अस्थाई स्टील ब्रिज का भी निर्माण किया गया।
सुरक्षा के बंदोबस्त के लिहाज से 56 पुलिस थाने और 144 चौकियां बनाई गईं । 2 साइबर थाने भी बनाए गए । पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा करीब 50 हजार सुरक्षाकर्मी पूरी मुस्तैदी से तैनात रहे। इनमें पुलिस, पीएसी, होमगार्ड, एसटीएफ, एनएसजी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एयरफोर्स के जवान शामिल थे।
चप्पे चप्पे की निगरानी के लिए 2700 सीसीटीवी कैमरे और 100 फेस रिकगनिशन कैमरे लगाए गए थे। इसके अलावा लगातार ड्रोन कैमरों से भी नजर रखी गई। क्राउड मैनेजमेंट के लिए AI बेस्ड 200 कैमरे भी लगाए गए थे।
इसी तरह आग पर काबू पाने के लिए 50 से ज्यादा फायर सेंटर और 20 चौकियों को स्थापित किया गया था । फायर ब्रिगेड की 351 गाड़ियां और 2 हजार जवान तैनात किए गए थे। इसके अलावा 700 नावों के साथ 3800 जल पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई थी।
बिजली और साफ सफाई
पूरे कुंभ क्षेत्र में बिजली सप्लाई देने के लिए 1532 किलोमीटर लंबी लाइन खींची गई जिसे 85 अस्थाई बिजली घरों और 170 सब-स्टेशनों से जोड़ा गया। कुंभ क्षेत्र रौशनी से जगमग रहे इसके लिए 4.71 लाख कनेक्शन दिए गए और 67 हज़ार स्ट्रीट लाइट्स लगाई गईं।
मेले में 1.5 लाख टॉयलेट बनाए गए जिनमें 300 मोबाइल टॉयलेट थे। जगह जगह कुल मिला कर 4 लाख डस्टबिन लगे । हर दिन 600 मीट्रिक टन कचरा निकलता था जिसके लिए 11 हजार लोग काम पर लगे थे।
सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के सबसे बड़े सफाई अभियान को सफल बनाने के लिए 12-12 लोगों की 800 सफाई टीमों का गठन किया था। गंगा यमुना की सफाई की देखरेख के लिए 1500 गंगा सेवा दूत नियुक्त किए गए थे।
व्यापक चिकित्सीय सुविधा
मेला में 43 अस्पताल बने और करीब 6 लाख लोगों का इलाज किया गया। 125 एंबुलेंस के अलावा एयर एंबुलेंस और रिवर एंबुलेंस का भी इंतजाम किया गया था।
बनाए गए अस्पतालों में 20 बच्चों का जन्म हुआ और 250 से ज्यादा सीरियस मरीजों की जान बचाई गई। 1.34 लाख लोगों को मुफ्त चश्मे बांटे गए और 1500 लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया। सरकारी इंतजाम के अलावा इस काम में कई एनजीओ और उनके कार्यकर्ता भी सक्रिय रहे।
आने जाने की सहूलियत
महाकुंभ तक लोगों को ले जाने और उनकी वापसी में सबसे बड़ी भूमिका भारतीय रेल ने निभाई । 13,830 रेलगाड़ियों ने करोड़ों श्रद्धालुओं के आवागमन को आसान बनाया और दुनिया में पहली बार इतना बड़ा इंसानी मूवमेंट रेलवे के द्वारा देखा गया ।
हवाई यात्रा की बात करें तो उनके लिए 17 शहरों से डायरेक्ट फ्लाइट 30 शहरों से कनेक्टिंग फ्लाइट का इंतजाम किया गया। इस दौरान 2800 से ज्यादा फ्लाइट प्रयागराज पहुंची जिनमें 4.5 लाख लोगों ने यात्रा की।
इतना ही नहीं, चार्टर्ड जेट भी बड़ी संख्या में उतरे। 45 दिन के पूरे आयोजन के दौरान 650 से ज्यादा चार्टर्ड लेट उतरे जिसमें सबसे ज्यादा 11 फरवरी को यानी सिर्फ एक दिन में 71 चार्टर्ड जेट प्रयागराज में उतरे।
बसों ने जरिए भी करीब 70 लाख लोगों ने सफर किया। यूपी रोडवेज की बसों ने 1.32 से ज्यादा चक्कर लगाए। शहर के अंदर 13 रूटों पर हर 2 मिनट के अंतर से 750 शटल बसों का संचालन हुआ। शटल बसों से 27 लाख ने लाभ उठाया। हर दिन औसतन 80 हजार वाहन प्रयागराज पहुंचे।
व्यापार और रोजगार
योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के आयोजन पर करीब 7500 करोड़ रुपये खर्च किए जिसमें 2100 करोड़ केंद्र सरकार ने दिए । एक अनुमान के तहत करीब 10 लाख लोगों को मेले से रोजगार मिला। मेला प्राधिकरण ने करीब 8 हजार दुकानों को आवंटित कर करीब 45 करोड़ रुपये कमाए ।
मेले में करोड़ों लोगों के पहुंचने से 3 लाख करोड़ रुपए के लेन-देन का अनुमान लगाया जा रहा है। इस दौरान यूपी सरकार को टैक्स, किराए और अन्य माध्यमों से 25 हजार करोड़ की कमाई का अनुमान है । वहीं होटल और खाने पीने के कारोबार से जुड़े लोगों को भी काफी फायदा हुआ । प्रसाद और अन्य धार्मिक सामग्री बेचने वालों ने भी मोटी कमाई की।