भारत ने म्यांमार से 530 भारतीयों को बचाया, जानिए क्या हुआ उनके साथ ?

Date: 2025-03-12
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म्यामांर में बंधक बनाकर रखे गए 530 भारतीय आईटी पेशेवरों को छुड़ाकर लाया गया है। इन्हें नौकरियों का लालच देकर साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया था। इन सभी को साइबर अपराधियों ने कैद कर रखा था। इनके पासपोर्ट समेत सभी दस्तावेज जब्त कर लिए गए थे। अपराधी इनसे ही साइबर ठगी के लिए कॉल कराते थे। जो साइबर अपराध करने का विरोध करता, उसे यातनाएं दी जातीं। इसकी जानकारी मिलने पर विदेश मंत्रालय के सहयोग से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी वतन वापसी कराई है। बता दें कि सभी लोगों को म्यामांर म्यावाड़ी शहर में रखा गया था। कोई एक साल से बंधक था तो कोई छह महीने से। लोगों से पूछताछ में पता चला कि उन्हें आईटी क्षेत्र में ही नौकरी देने के बहाने म्यांमार बुलाया गया था। इसके लिए साइबर अपराधियों की एक एजेंसी काम करती है। 

40 दिन दी डिजिटल अरेस्ट करने की दी ट्रेनिंग

पूछताछ के दौरान लोगों ने बताया कि उन्हें यातनाएं देकर साइबर अपराध करने के लिए राजी किया गया था। पहले उन्हें 40 दिन की ट्रेनिंग दी गई। इसमें उन्हें सिखाया गया कि पुलिस और सीबीआई का अधिकारी बनकर कैसे लोगों को डिजिटल अरेस्ट करना है। जो आईटी पेशवर जिस भाषा को जातना है, उसे उसी में ट्रेनिंग दी गई। बता दें कि अपराधियों के पास लोगों का डाटा भी है। ये डाटा देकर ही ठगी कराई जाती है। ठगी की रकम पहले अपराधी अपने खाते में सीधे नहीं मंगाते हैं ये पहले उन खातों में जमा कराई जाती है, जो अपराधियों ने भारत के लोगों से ही किराए पर ले रखे हैं। फिर उनके खातों से रकम को अपने खातों में ट्रांसफर करते हैं। 

कई देशों से चल रहे गिरोह

थाईलैंड, कोलंबियां, इंडोनेशिया, नेपाल और यूएई में भी साइबर अपराधियों के गिरोह चल रहे हैं। ये सभी गिरोह भारतीय लोगों के साथ ठगी करते हैं। ठगी के लिए भारतीयों के सिम कार्ड और बैंक खाते इस्तेमाल करते हैं। पुलिस इन गिरोह के खाते और सिम देने वाले कई लोगों को पकड़ चुकी है बाकि कि तलाश जारी है। 


नौकरी देने वालों की जांच करें नागरिक- मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सलाह दी है कि वे विदेश में स्थित मिशनों के माध्यम से विदेशी नियोक्ताओं की साख की पुष्टि करें और नौकरी की पेशकश स्वीकार करने से पहले भर्ती एजेंटों और कंपनियों के पिछले रिकॉर्ड की भी जांच करें।