तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही है। अब 14वें दलाई लामा ने संकेत दिए हैं कि उनका उत्तराधिकारी पारंपरिक प्रक्रिया से अलग तरीके से चुना जा सकता है। अब तक दलाई लामा की नियुक्ति तिब्बत में जन्मे किसी बच्चे को खोजकर की जाती थी, लेकिन इस बार मामला जटिल नजर आ रहा है।
उत्तराधिकारी कैसे चुना जाता है?
तिब्बती परंपरा के अनुसार, जब दलाई लामा का निधन होता है, तो उनके पुनर्जन्म की खोज की जाती है। माना जाता है कि उनकी आत्मा किसी अन्य बच्चे के शरीर में जन्म लेती है। तिब्बती बौद्ध भिक्षु विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि नया दलाई लामा कौन होगा। परंपरागत रूप से यह खोज तिब्बत में की जाती थी, लेकिन इस बार स्थितियां बदली हुई हैं।
दलाई लामा की नई रणनीति
14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने यह संकेत दिया है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर किसी स्वतंत्र देश में चुना जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संबंध में जुलाई में औपचारिक घोषणा हो सकती है। इससे चीन और तिब्बत के बीच विवाद और गहरा सकता है।
चीन और दलाई लामा के बीच टकराव
चीन का दावा है कि दलाई लामा की नियुक्ति उसके अधिकार क्षेत्र में आती है। बीजिंग ने कई बार कहा है कि नया दलाई लामा चुनने में उसकी भूमिका होगी, लेकिन मौजूदा दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि चीन को यह अधिकार नहीं दिया जाएगा। चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था और 1959 में भारी दबाव के चलते दलाई लामा भारत आ गए थे।
क्या नया दलाई लामा भारत में मिलेगा?
भारत तिब्बती शरणार्थियों के लिए सबसे बड़ा केंद्र रहा है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि नया दलाई लामा भारत में जन्मा कोई तिब्बती बच्चा हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह तिब्बती स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक मजबूत संदेश होगा और चीन के प्रभाव को चुनौती देगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मसले पर चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी।