बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर चल रही बयानबाजी पर कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने फुल स्टॉप लगा दिया है । उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि महागठबंधन में तेजस्वी यादव को लेकर कोई भ्रम या मतभेद नहीं है ।
कन्हैया कुमार ने कहा, “महागठबंधन पूरी तरह एकमत है कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तेजस्वी यादव ही होंगे । अगर जनता ने हमें बहुमत दिया, तो मुख्यमंत्री राजद से होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेजस्वी गठबंधन के सबसे बड़े दल के नेता हैं और उनके नाम को लेकर महागठबंधन में कोई विवाद नहीं है।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश सिंह ने भी तेजस्वी यादव को महागठबंधन का स्वाभाविक नेता बताया था। उन्होंने कहा था, तेजस्वी नहीं तो फिर कौन? वह सबसे उपयुक्त चेहरा हैं ।
इससे पहले कांग्रेस की ओर से खुलकार तेजस्वी का नाम नहीं लिया जा रहा था जिससे कई बार आपसी मनमुटाव की खबरें भी आती रही हैं ।
नीतीश कुमार को हटाना चाहती है बीजेपी -कन्हैया
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोला । उन्होंने कहा कि भाजपा समय आने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाकर अपना चेहरा सामने लाने की तैयारी में है । कांग्रेस नेता ने कहा कि,भाजपा बिहार में भी वही करना चाहती है, जो उसने अन्य राज्यों में किया है। नीतीश कुमार के अस्वस्थ होने का इंतजार नहीं किया जा रहा बल्कि भाजपा पहले से ही उन्हें हटाने की योजना में थी ।
कन्हैया कुमार ने उम्मीद जताई कि इस बार महागठबंधन को पहले से अधिक समर्थन मिलेगा। उन्होंने कहा, कि पिछली बार बदलाव का माहौल था, लेकिन थोड़े अंतर से हम सरकार नहीं बना सके। इस बार बदलाव की बयार और अधिक प्रबल है ।

कन्हैया को पसंद नही करता लालू परिवार ?
कन्हैया कुमार के बयान के बाद सिर्फ महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है, बल्कि इससे नए समीकरण के संकेत भी मिल रहे हैं ।
ऐसा माना जाता है कि कन्हैया कुमार को तेजस्वी यादव और लालू यादव पसंद नहीं करते हैं । ये लोग नहीं चाहते कि कन्हैया बिहार की राजनीति में सक्रिय हों । कांग्रेस में आने से पहले कन्हैया ने जब बेगूसराय से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ बाम दल के प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था तब सहयोगी दल होने के बावजूद लालू यादव ने उनकी मदद नहीं की थी । नतीजा ये रहा कि कन्हैया बुरी तरह से चुनाव हार गए ।
कहा जाता है कि कन्हैया कुमार की प्रतिभा को लेकर लालू यादव यादव ज्यादा चिंतित रहते हैं । उन्हे ऐसा लगता है कि कन्हैया कुमार तेजस्वी से ज्यादा प्रभावशाली नेता साबित हो सकते हैं । यदि वह बीजेपी विरोधी वोटों को लामबंद करने में सफल रहे तो तेजस्वी के लिए चुनौती बढ़ सकती है ।
इसलिए माना जाता है कि अबतक उन्होंने कांग्रेस पर दबाव बनाकर अबतक कन्हैया कुमार को बिहार की राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं होने दिया । लेकिन अब जिस तरह से तेजस्वी के समर्थन में कन्हैया का बयान आया है उससे लगता है कि बर्फ थोड़ी पिघली है ।
पिछले चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से 75 सीटों पर जीत हासिल की । वहीं महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी । भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 पर जीत हासिल की ।
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में कराए जाने की संभावना है। चुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा निर्वाचन आयोग द्वारा जल्द की जा सकती है।