बहुजन समाज पार्टी में मायावती के परिवार में मचे घमासान के बाद अब पश्चिम बंगाल में
ममता बनर्जी के घर में भी हलचल के संकेत मिल रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी से दूरी बनाए रखने वाले उनके भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने हाल ही में पार्टी की एक अहम बैठक से भी किनारा कर लिया। इस घटनाक्रम के बाद कयासों का बाजार गरम हो गया है कि टीएमसी के अंदर सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। पिछले कुछ समय से अभिषेक बनर्जी की नाराजगी की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जिससे पार्टी के आंतरिक समीकरण को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों को दूर करने के लिए हाल ही में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति की पहली बैठक गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में आयोजित की गई थी, जिसमें अभिषेक बनर्जी का नाम प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी के ठीक बाद रखा गया था। बावजूद इसके, वह बैठक में नजर नहीं आए, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह की अटकलें लगने लगीं।
क्या टीएमसी में बदल रहा है समीकरण?
अभिषेक बनर्जी की इस महत्वपूर्ण बैठक से अनुपस्थिति के चलते टीएमसी के आंतरिक समीकरण को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इससे पहले भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में तनाव की खबरें सामने आई थीं, लेकिन कुछ समय पहले नेताजी इंडोर स्टेडियम में हुई एक रैली में ममता बनर्जी ने अभिषेक के भाषण का खुलकर समर्थन किया था, जिससे यह माना जा रहा था कि हालात सामान्य हो रहे हैं। हालांकि, उनकी हालिया गैरमौजूदगी ने इन चर्चाओ को फिर से हवा दे दी है।
पार्टी के कुछ नेताओं ने इस मुद्दे को तूल न देने की कोशिश की, जबकि कुछ का कहना है कि ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि मतदाता सूची से जुड़े सभी चुनावी कार्य सिर्फ पार्टी मुख्यालय में ही होंगे। इसे टीएमसी के भीतर संभावित बदलाव का संकेत माना जा रहा है। वहीं, अभिषेक बनर्जी के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह अन्य व्यस्तताओं के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके।
क्या मायावती की राह पर ममता बनर्जी?
दिलचस्प बात यह है कि इसी दौरान बीएसपी प्रमुख मायावती ने हाल ही में अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था, जिससे उनके परिवार में तनाव की स्थिति बनी हुई है। अब ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच की दूरी को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि टीएमसी में भी कुछ बड़ा बदलाव हो सकता है। क्या ममता भी मायावती की तरह कोई सख्त कदम उठाने जा रही हैं, या फिर यह सिर्फ राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है? यह देखना दिलचस्प होगा।