रामनवमी पर रामलला का सूर्य तिलक, दर्शन पाकर धन्य हुए श्रद्धालु

Authored By: News Corridors Desk | 06 Apr 2025, 01:59 PM
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Ayodhya Ram Navami 2025 : भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के लिए कई मंदिरों में कार्यक्रम और खास पूजा-पाठ की जा रही है। पांच हजार से अधिक मंदिरों में रामनवमी की धूम है। रामनवमी के शुभ अवसर पर अयोध्या भी पूरी तरह से सजधज कर तैयार है। अयोध्या के राम मंदिर में आज राम लला का अभिषेक सूर्य किरणों से हुआ। सुबह से ही देश-विदेश से श्रद्धालु सरयू में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचने लगे हैं। जय श्री राम का उद्घोष लगाते हुए श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। राम मंदिर में दर्शन पूजन के लिए भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिली। राम मंदिर के साथ हनुमान गढ़ी में भी बड़ी संख्या में भक्त दिखाई दिए। आने वाले भक्तों पर ड्रोन से सरयू के पवित्र जल की फुहारों से बारिश कराई गई। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार अयोध्या में दो लाख से अधिक दीप जलाए जाएंगे। 


काशी विश्वनाथ धाम में लाइव दिखेगा सूर्य तिलक

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महादेव की नगरी काशी भी मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव की तैयारियों में डूबी है। घर-घर में राम जन्मोत्सव की तैयारी चल रही है। काशी विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक पर राम जानकी की प्रतिमाएं स्थापित कर रामायण पाठ का आयोजन किया गया है। काशी में सूर्य तिलक का सीधा प्रसारण दिखाने की व्यवस्था के लिए धाम में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई है। 

रामनवमी पर अयोध्‍या में उमड़ा भक्‍तों का रेला

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श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए बस्ती-अयोध्या फोरलेन पर 7 अप्रैल तक भारी वाहनों का आवागमन परिवर्तित किया गया है। लखनऊ, सीतापुर, मुरादाबाद, झांसी, दिल्ली, राजस्थान की तरफ जाने वाले भारी वाहनों को डायवर्ट कराकर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से आगे के लिए भेजा जा रहा है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को दीं शुभकामनाएं

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामनवमी के पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा कि रामनवमी के पावन अवसर पर भगवान श्रीराम के जन्म को श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाना चाहिए। हमें इस तथ्य का भी बोध होना चाहिए कि प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता है। 

राम नवमी पर करें इन चौपाइयों का पाठ

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1. मंगलमूल रामु सुत जासू। जो कछु कहिअ थोर सबु तासू।।

रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा। बदनु बिलोकि मुकुटु सम कीन्हा।।

2. भव भेषज रघुनाथ जसु,सुनहि जे नर अरू नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसिरारि।।

3. रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।।
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती।।

4. जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।।
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी।।

5. हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।

6. जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥

7. श्रवन समीप भए सित केसा। मनहुं जरठपनु अस उपदेसा।।
नृप जुबराजु राम कहुँ देहू। जीवन जनम लाहु किन लेहू।।

8. एक समय सब सहित समाजा। राजसभां रघुराजु बिराजा।।
सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।।