1970 के दशक में बॉलीवुड में मुंबई के कुख्यात स्मगलर हाजी मस्तान की जिंदगी से प्रेरित ऐसी फिल्मों का ट्रेंड सेट हो गया था, जिनमें भारत में समुद्री और हवाई मार्ग से लाए जा रहे गोल्ड की स्मगलिंग दिखाई जाती थी। हालांकि समय के साथ बॉलीवुड की फिल्मों में सोने की तस्करी के सीन बंद हो गए, लेकिन इकॉनमी में आए बदलावों के बावजूद आज भी भारत में बाहरी मुल्कों, खास तौर पर गल्फ कंट्रीज से, सोने की तस्करी की जा रही है। आखिर इसकी वजह क्या है ?
आईपीएस अधिकारी की एक्ट्रेस बेटी की गिरफ्तारी से उठे सवाल
एयर इंडिया एक्सप्रेस की क्रू मेंबर सुरभि खातून को पिछले साल मस्कट से आने के बाद कन्नूर एयरपोर्ट पर डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की टीम ने गिरफ्तार कर उनके रेक्टम से एक किलो सोना बरामद किया था। अब कनार्टक के डीजीपी रैंक के आईपीएस अधिकारी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी 32 साल की रान्या राव, जोकि कन्नड फिल्मों की अभिनेत्री भी हैं, को डीआरआई ने बेंगलुरू एयरपोर्ट पर 14.8 किलो गोल्ड के साथ गिरफ्तार किया है।
उस वक्त वह दुबई से आ रही थी। डीआरआई को जानकारी मिली है कि रान्या राव पिछले एक साल में 27 बार दुबई के चक्कर लगा चुकी हैं। तीन मार्च को गिरफ्तारी से पहले पिछले 15 दिनों में ही वह चार बार दुबई आ-जा चुकी थी, जबकि वहां रान्या राव का ना तो कोई बिजनेस है और ना ही वहां उनका कोई रिलेटिव रहता है। गोल्ड उनकी जांघों और कमर पर टेप से बांधने के अलावा मोडिफाइड जैकेट में छिपाया गया था।
आखिर क्या कारण है कि आज उदार अर्थव्यवस्था के दौर में भी गोल्ड स्मगलिंग हो रही है और 1970 के दशक में जो तस्करी रात के अंधेरे में समुद्र के रास्ते टॉर्च लाइटें ब्लिंक करके की जाती थी, वह आज दिन के उजाले में हवाई रास्ते से कैसे की जाने लगी?
इस तस्करी में कितना मुनाफा है, जो एयर लाइंस की केबिन क्रू और फिल्म अभिनेत्रियां तक गिरफ्तारी के खतरे के बावजूद शरीर के अंदरूनी हिस्सों तक में छिपा कर ला रही हैं। रिकॉर्ड के अनुसार साल 2023 में गोल्ड स्मगलिंग के करीब पांच हजार प्रयास पकड़े गए थे और माना यह जाता है गोल्ड स्मगलिंग के करीब 10 प्रतिशत मामले ही पकड़ में आ पाते हैं। इससे इस स्मगलिंग के स्केल का अनुमान लगाया जा सकता है।
सोने की तस्करी पर क्यों नहीं लग पा रही है रोक
गोल्ड ट्रेड के जानकार और दिल्ली के कूचा महाजनी के सोना व्यापारी राजेश गुप्ता के अनुसार, गोल्ड स्मगलिंग की सबसे बड़ी वजह यह है कि केंद्र सरकार के नीति-निर्धारक कभी भी भारतीय जनमानस के सोने से भावनात्मक लगाव और जनता की नज़र में उसके सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को समझ ही नहीं पाए ।
वो बार-बार ऐसी नीतियां बनाते रहे, जो काउंटर-प्रोडक्टिव साबित हुई। इसके अलावा, लोग मुद्रास्फीति यानी रूपये की कीमत में गिरावट और सरकारी नीतियों में कन्सिस्टेंसी नहीं होने की वजह से भी गोल्ड को जमीन की तरह सुरक्षित निवेश मानते हैं।
साल 1968 में केंद्र सरकार के फाइनेंस मिनिस्टर मोरारजी देसाई ने ‘गोल्ड कंट्रोल एक्ट’ लागू किया, जिसने गोल्ड के व्यापारियों यानी सुनारों पर यह पाबंदी लगा दी कि वह 100 ग्राम से ज्यादा सोना रख ही नहीं सकते। इस कानून से जनता पर पाबंदी लगाई गई कि वह आभूषणों के अलावा सोना नहीं रख सकते। गोल्ड-लोन पर पाबंदी लगा दी गई।
इसी के बाद शुरू हुई व्यापक पैमाने पर गोल्ड स्मगलिंग, जिसे वास्तविक जिंदगी में पहले हाजी मस्तान ने और बाद में दाउद इब्राहीम ने परवान चढ़ाया। 1970 की फिल्मों में दिखाई गई गोल्ड स्मगलिंग उस वक्त देश की हकीकत दर्शा रही थी। यह तस्करी इस कारण हो रही थी, क्योंकि लोग गोल्ड खरीदना चाहते थे। इस तरह ‘गोल्ड कंट्रोल एक्ट’ की पाबंदियों को जनता ने नकार दिया।
सरकार की नीतियों पर भी उठ रहे सवाल
1990 के दशक में फाइनेंस मिनिस्टर मनमोहन सिंह ने ‘गोल्ड कंट्रोल एक्ट’ को खत्म कर दिया । लेकिन बाद में इसी पद पर आए प्रणब मुखर्जी ने देखा कि नॉन-ऑयल इम्पोर्ट में से करीब 20 प्रतिशत हिस्सा गोल्ड के आयात पर ही जा रहा था तो उन्होंने इस बड़ी मात्रा में बाहर जा रहे फॉरेक्स रिजर्व को बचाने के लिए गोल्ड इम्पोर्ट पर ड्यूटी बढ़ा दी। उनका अनुमान नाकाम रहा और गोल्ड स्मगलिंग में इजाफा हो गया।
यूपीए के बाद आई मोदी सरकार ने इससे कोई सबक लेने के बजाय गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा कर 15 प्रतिशत प्लस जीएसटी कर दी, जिससे स्मगलिंग ज्यादा बढ़ गई। सरकारें यह सब कदम इसलिए उठा रही थी, जिससे लोगों को गोल्ड खरीदने और घर में रखने से हतोत्साहित किया जा सके, लेकिन हो रहा था विपरीत, क्योंकि लोग गोल्ड खरीदना चाहते थे और इस वजह से स्मगलिंग बढ़ गई।
साल 2015 में केंद्र सरकार ‘गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम’ लेकर आई, जिसमें सरकार ने कहा कि लोग सोना घर में रखने बजाय बैंक में जमा करें और उन्हें ढाई परसेंट ब्याज मिलेगा और वह जमा किया गया सोना सरकार इस्तेमाल करेगी। यह स्कीम भी लोगों को प्रभावित नहीं कर पाई।
इसी साल Sovereign Gold Loan Scheme लॉन्च की गई। यह स्कीम इसलिए फेल हो गई, क्योंकि सरकार यह अनुमान ही नहीं लगा पाई कि सोने की कीमतें अब आसमान छूने जा रही हैं। इसलिए सरकार ने गोल्ड बॉन्ड बेचने बंद कर दिए और माना जाता है कि सरकार चाहती है कि लोग बॉन्ड मैच्योर होने का इंतजार ही ना करें, क्योंकि अब कीमतें बहुत बढ़ चुकी हैं और जितने बॉन्ड मैच्योर होंगे, सरकार को उतना ही घाटा होगा।
आठ नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने नोटबंदी कर दी। अनुमान तो यह था कि जब लोगों के पास कैश ही नहीं रहेगा तो वो गोल्ड खरीद ही नहीं पाएंगे, लेकिन हुआ यह है कि नोटबंदी का ऐलान होते ही रात में ही जूलर्स के शोरूम पर गाडि़यां भर-भर कर लोग ब्लैक मनी लेकर पहुंच गए और दो दिन में ही जूलर्स ने टनों सोना बेच दिया।
अगले साल यानी 2017 में सरकार ने नियम बनाया कि दो लाख रूपये से ज्यादा सोना खरीदने पर पैन नंबर और जीएसटी देना होगा। इसका असर यह हुआ कि लोग स्मगलिंग से आया सोना ज्यादा खरीदने लगे।
साल 2024 के बजट में सरकार ने गोल्ड पर आयात कर 15 से घटा कर छह परसेंट कर स्मगलिंग पर लगाम लगाने की कोशिश की, लेकिन जिस तरह अब केबिन क्रू और फिल्म अभिनेत्रियां शरीर के प्राइवेट अंगों में छिपाकर गोल्ड तस्करी कर रही हैं, उससे माना जा रहा है कि आयात कर अभी भी ज्यादा है और सरकार को इसकी दर कम करनी चाहिए, जिससे कि लोग खुद घोषित कर गोल्ड ला सकें।
पंकज त्यागी
pankajtyagi2021@gmail.com
लेखक दिल्ली हाई कोर्ट में एडवोकेट हैं।