'अनुपमा' के सेट पर लगी भीषण आग, कोई हताहत नहीं, जांच शुरू

Authored By: News Corridors Desk | 23 Jun 2025, 04:29 PM
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मुंबई के गोरेगांव स्थित फिल्म सिटी में सोमवार सुबह उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब लोकप्रिय टीवी सीरियल 'अनुपमा' के सेट पर तड़के 5 बजे अचानक भीषण आग लग गई। इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन पूरा सेट जलकर खाक हो गया। हादसे की वजह से न सिर्फ सेट को भारी नुकसान पहुंचा है, बल्कि शूटिंग शेड्यूल भी प्रभावित हो सकता है।

कैसे लगी आग?

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, आग लगने की संभावित वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, लेकिन इसकी पुष्टि जांच के बाद ही की जाएगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सेट पर मौजूद कुछ लोगों ने धुआं उठते देखा और तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी।
फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। कूलिंग ऑपरेशन फिलहाल जारी है, ताकि आग दोबारा न भड़के।

टल गया बड़ा हादसा

ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) के अनुसार, शूटिंग सुबह 7 बजे शुरू होनी थी, लेकिन हादसा उससे ठीक दो घंटे पहले हो गया। यदि आग कुछ समय बाद लगती, तो दर्जनों कलाकार और कर्मचारी अंदर मौजूद होते और भारी जान-माल की हानि हो सकती थी।

सेट की लापरवाही या सुनियोजित साजिश?

AICWA ने इस घटना को लेकर निर्माताओं और प्रोडक्शन हाउस पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। एसोसिएशन का कहना है कि:"निर्माता और चैनल मूलभूत अग्नि सुरक्षा उपायों को लागू करने में विफल हैं। यह लापरवाही सेट पर काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की जान खतरे में डालती है।"

इसके साथ ही AICWA ने यह भी आशंका जताई है कि क्या आग जानबूझकर बीमा क्लेम के लिए लगाई गई थी? उन्होंने मांग की है कि इस कोण से भी जांच की जाए। AICWA के अध्यक्ष सुरेश श्यामलाल गुप्ता ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि फिल्म सिटी के प्रबंध निदेशक और मुंबई के श्रम आयुक्त को तत्काल निलंबित किया जाए और अग्नि सुरक्षा नियमों को लागू न कर पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।

बार-बार हो रही हैं ऐसी घटनाएं

AICWA ने आग की इस घटना को मुंबई और आसपास के फिल्म स्टूडियो में बार-बार हो रही दुर्घटनाओं की एक कड़ी बताया। उन्होंने कहा कि "हर बार ऐसी घटनाओं के बाद कुछ दिन चर्चा होती है, लेकिन व्यवस्था में कोई ठोस सुधार नहीं किया जाता। जब तक कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक कर्मचारियों की जान ऐसे ही जोखिम में बनी रहेगी।"