ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस्तांबुल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका, इजरायल के साथ युद्ध में सक्रिय रूप से शामिल होता है, तो इसका परिणाम "सभी के लिए बेहद खतरनाक" हो सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सैन्य हस्तक्षेप पर विचार कर रहे हैं। अराघची ने कहा कि ऐसी कोई भी भागीदारी "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" होगी।
जेनेवा वार्ता विफल, कूटनीति पर सवाल
जेनेवा में यूरोपीय नेताओं और ईरान के वरिष्ठ राजनयिकों के बीच घंटों चली वार्ता किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। अराघची ने वार्ता के बाद कहा कि ईरान आगे बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इजरायल की आक्रामकता के बीच अमेरिका से संवाद की कोई इच्छा नहीं है। वार्ता का मुख्य उद्देश्य तनाव को कम करना था, लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिली। इजरायल द्वारा 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए थे, जिनमें शीर्ष जनरल और वैज्ञानिक भी निशाने पर थे। इसके बाद से परमाणु रिएक्टरों पर संभावित हमलों को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ गई है। माना जा रहा है कि ईरान की फोरडो यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी अब तक अमेरिका के शक्तिशाली बमों से भी सुरक्षित बनी हुई है।
ईरान का स्पष्ट रुख
अराघची ने दोहराया कि ईरान केवल उसी स्थिति में कूटनीतिक प्रयासों पर विचार करेगा जब इजरायल के हमले पूरी तरह रुकें और हमलावर को उसके "अपराधों" के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। फिलहाल, अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत को खारिज कर दिया गया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो टूक कहा है कि जब तक आवश्यक होगा, ईरान में सैन्य अभियान जारी रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई का उद्देश्य ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करना है। इजरायली सेना के एक वरिष्ठ जनरल ने भी कहा है कि सेना लंबे अभियान के लिए पूरी तरह तैयार है।
ट्रंप का बयान: दो सप्ताह में फैसला लूंगा
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वह अमेरिका की सैन्य भागीदारी पर दो सप्ताह के भीतर अंतिम निर्णय लेंगे। अमेरिका के सहयोग के बिना इजरायल का मिशन अधूरा रह सकता है, क्योंकि कुछ परमाणु ठिकानों को तबाह करने के लिए अमेरिकी हथियारों की जरूरत है। युद्ध की शुरुआत 12 जून से मानी जा रही है। इसके बाद 13 जून को इजरायल ने ईरानी ठिकानों पर हमला शुरू किया। जवाब में ईरान ने 450 मिसाइलें और 1,000 ड्रोन दागे।
ईरानी आंकड़े: 657 लोगों की मौत, जिनमें 263 आम नागरिक शामिल हैं। 2,000 से ज्यादा घायल। इजरायली आंकड़े: 24 नागरिक मारे गए, सैकड़ों घायल हुए। हालांकि इजरायल की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट कर दिया। युद्ध की तीव्रता, परमाणु ठिकानों पर खतरा और अमेरिका की संभावित भागीदारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गंभीर चिंता है। कूटनीति की विफलता ने तनाव और भी बढ़ा दिया है।