नेपाल के मौजूदा पीएम केपी शर्मा ओली के समर्थकों का कहना है कि पड़ोसी भारत, और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ नेपाल में सियासी उलटफेर की साजिश रच रहे हैं। ऐसा क्यूं वो हम आपको बताते हैं... दरअसल, करीब तीन महीने तक कई धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र वीर विक्रम सिंह 9 मार्च को जब स्वदेश वापस लौटे, तो एयरपोर्ट के बाहर हजारों की संख्या में लोग हाथों में तख्तियां लिए उनका इंतजार कर रहे थे। तभी समर्थकों की भीड़ में एक चेहरा सबसे अलग दिखाई पड़ा, क्योंकि उसके हाथ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का पोस्टर था। फिर क्या रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें दिखाए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है।
'योगी जी को बहुत पसंद करता हूं'
नेपाली नागरिक प्रदीप विक्रम राणा का दावा है कि 9 मार्च को राजा ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह के स्वागत के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराना बहुत भारी पड़ गया। पुलिस मेरे पीछे पड़ी हुई है और मुझे नेपाल छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी है। राणा ने बताया कि पुलिस का मानना है कि मैं भारत सरकार और योगी जी से मिलकर नेपाल की वर्तमान सरकार के खिलाफ साजिश रच रहा हूं। प्रदीप का कहना है कि 9 मार्च को नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह देश वापस लौटे थे। एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। इस दौरान मैंने राजा साहब और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पोस्टर एक साथ लेकर रखा था। मेरा ऐसा मानना है कि जिस तरह योगी जी हिंदू और हिंदुत्व के लिए लगातार लड़ाई लड़ते रहे हैं, वह हम सब के वैश्विक नेता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी मैं उन्हें बेहद पसंद करता हूं।
'कभी योगी आदित्यनाथ से नहीं मिला हूं'
प्रदीप विक्रम राणा का यह भी दावा है कि वो ना तो योगी आदित्यनाथ से मिले है ना ही भारत के किसी राजनेता से। राणा ने कहा कि पैसे लेने की बात तो दूर-दूर तक सपने में भी नहीं सोची जा सकती। मैं अपने राजा ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह और योगी आदित्यनाथ जी का सम्मान करता हूं। आगे उन्होनें ने कहा कि किसी ने उन्हें इसके लिए उकसाया या प्रायोजित नहीं किया क्योंकि उनके पास पैसे की कमी नहीं थी।
राजशाही समर्थकों ने क्या कहा?
रैली के आयोजकों ने बताया कि रैली में केवल राष्ट्रीय ध्वज और ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीर का उपयोग करने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ के पोस्टर के इस्तेमाल की न तो आधिकारिक मंजूरी थी और न ही उन्हें इसके बारे में पता था।