रसोई में गैस,खेतों में जैविक खाद और साथ में कमाई भी...योगी सरकार की योजना से बदलेगी गांवों की तस्वीर

Authored By: News Corridors Desk | 16 Jul 2025, 02:22 PM
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उत्तर प्रदेश के गांवों में रहने वाले लोगों आने वाले दिनों में हर महीने एलपीजी सिलेंडर की चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । इसकी वजह है योगी सरकार की नई योजना जिससे लोगों की रसोई गैस की ज़रूरत का बड़ा हिस्सा गांव में ही उपलब्ध संसाधनों से पूरा हो जाएगा । इससे एलपीजी गैस की खपत में करीब 70% तक की कमी आ सकती है । राज्य सरकार गांवों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'ग्राम ऊर्जा मॉडल' नाम की योजना शुरू कर रही है । 

क्या है ग्राम ऊर्जा मॉडल योजना ?

इस योजना के तहत गांवों में सीधे किसानों के घरों या खेतों के पास छोटे बायोगैस यूनिट्स लगाए जाएंगे जो गोबर से गैस बनाएंगे । इससे किसान खुद के उपयोग के लिए गैस और खाद दोनों का उत्पादन कर सकेंगे । इस गैस का उपयोग खाना पकाने के लिए किया जा सकेगा । इससे ग्रामीण परिवारों की एलपीजी पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी ।

राज्य सरकार का आकलन है कि इससे एलपीजी गैस की खपत में करीब 70% तक की कमी आ सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ग्रामीण महिलाओं को हर बार एलपीजी सिलेंडर भरवाने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी, और उनका रसोई खर्च भी कम होगा।

किसानों को होगा दोहरा फायदा ?

इस योजना का लाभ सिर्फ रसोई तक सीमित नहीं है। जब गोबर से गैस बनेगी, तो उससे बचने वाला घोल (स्लरी) जैविक खाद के रूप में खेतों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यानी किसान को न सिर्फ गैस मिलेगी, बल्कि खेती के लिए मुफ्त या सस्ती जैविक खाद भी उपलब्ध होगा । एक तरफ रसोई इंधन का खर्च बचेगा,और दूसरी ओर खेती में रासायनिक खाद की जगह सस्ते और जैविक खाद का विकल्प मिलेगा । इससे फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

मनरेगा से जोड़ा गया है योजना

राज्य सरकार ने इस योजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से भी जोड़ा है । इसके तहत गांवों में रहने वाले किसानों को व्यक्तिगत पशुशालाएं (Cattle Sheds) बनाने में मदद दी जाएगी । इन पशुशालाओं से मिलने वाले गोबर का इस्तेमाल बायोगैस बनाने में किया जाएगा। इससे गांव में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे और आवारा पशुओं की समस्या भी कम हो सकती है, क्योंकि लोग अपने पशुओं को अब संभाल कर रखेंगे ।

गोशालाओं को भी बनाया जाएगा केंद्र

सरकार की योजना है कि सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक गोशालाओं में भी बायोगैस और खाद संयंत्र लगाए जाएं । फिलहाल राज्य में 43 गौशालाओं का चयन किया गया है जिसमें यह काम शुरू किया जा रहा है ।

हर गोशाला से हर महीने लगभग 50 क्विंटल गोबर मिल सकता है, जिससे न सिर्फ बायोगैस बनेगी, बल्कि बचा हुआ घोल जैविक खाद में बदल जाएगा । इसे आसपास के किसान खरीद सकेंगे और इसका उपयोग अपनी फसलों में कर सकेंगे।

यह योजना सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिहाज़ से भी काफी फायदेमंद है । बायोगैस एक स्वच्छ ईंधन है, जिससे धुएं की मात्रा बहुत कम होती है। यह न केवल वायु प्रदूषण को घटाएगा, बल्कि जंगलों की कटाई और लकड़ी के जलने जैसी समस्याओं से भी राहत मिलेगी।