बिहार में जैसे -जैसे विधान सभा चुनाव का वक्त नजदीक आता जा रहा है सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है । एक साथ कई स्तरों पर शह-और मात का खेल शुरू हो चुका है । सत्ता पक्ष और विपक्ष तो आमने-सामने हैं ही , सरकार में शामिल घटकों के बीच भी रस्साकशी जारी है ।
वैसे तो पहले से ही इस बात को लेकर चर्चा चल रही थी कि क्या अगली बार भी नीतीश कुमार ही एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे ? लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के ताजा बयान के बाद यह मुद्दा पूरी तरह से गरमा गया है ।
क्या कहा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने
दिलीप जायसवाल ने कहा है कि आने वाला विधानसभा चुनाव तो नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, ये बीजेपी संसदीय बोर्ड तय करेगा । उनके इस बयान के बाद से बिहार में सियासी पारा हाई हो गया है । हालांकि अभी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ओर से जायसवाल के बयान को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है , लेकिन मामले के तूल पकड़ने की पूरी संभावना जताई जा रही है ।
बड़ा सवाल-सीएम नहीं रहने पर नीतीश एनडीए के साथ रहेंगे ?
राजनीतिक हलकों में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं । सबसे बड़ा सवाल तो ये उठ रहा है कि यदि नीतीश कुमार अगली बार मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे तो ऐसी स्थिति में भी क्या वो एनडीए के साथ बने रहेंगे या फिर अपना रास्ता अलग कर लेंगे ?
दरअसल दिलीप जायसवाल ने जो बयान दिया है उसकी भूमिका पिछले दिनों तब बनती दिखी जब नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने मीडिया में एक बयान दिया । निशांत ने कहा कि एनडीए को चाहिए कि वो अगली बार भी मुख्यमंत्री के लिए नीतीश कुमार के नाम की घोषणा कर चुनाव में उतरे ।
हालांकि निशांत कुमार अभी राजनीति से दूर हैं और आम तौर से वो इस तरह के राजनैतिक बयान भी कम ही देते हैं । लेकिन हाल के दिनों में बिहार में इस बात की चर्चा जोरों पर है कति निशांत जल्द ही पिता नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत को संभाल लेंगे । जेडीयू का एक तबका जोर-शोर से इस मुहिम में लगा है । इस पूरे मामले में नीतीश कुमार चुप हैं परन्तु एक बड़ा तबका है जो यह मानता है कि पूरे मामले में उनकी सहमति है ।
जायसवाल के बयान पर हैरानी क्यों ?
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का बयान मंत्रिमंडल विस्तार के महज दो दिनों बाद आया है । बजट सत्र से पहले हुए नीतीश कैबिनेट के विस्तार में सभी सात मंत्री पद बीजेपी विधायकों को दिए गए हैं । यह फैसला बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा और नीतीश कुमार की बैठक में लिया गया ।
इस फैसले की वजह साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश माना जा रहा है । यही वजह है कि दिलीप जायसवाल के बयान की टाइमिंग को लेकर कई लोगों को हैरानी हो रही है ।