ममता सरकार और राज्यपाल की खींचतान पर कलकत्ता हाईकोर्ट का कड़ा संदेश

Date: 2025-03-07
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पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच चल रही तनातनी किसी से छिपी नहीं है जिसको लेकर अब कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी चिंता जताई है । अदालत ने कहा कि ऐसी कानूनी लड़ाई किसी भी पक्ष के लिए उचित नहीं है और इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए।  

कोर्ट ने दिया सुलह का सुझाव

न्यायमूर्ति कृष्ण राव की एकल पीठ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तीन अन्य के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ने सुझाव दिया कि  राज्यपाल और मुख्यमंत्री अपने मतभेदों को "चाय पर चर्चा" के जरिए सुलझा सकते हैं   
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील और तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने इस सुझाव का समर्थन किया और अनुरोध किया कि इसे अदालत के लिखित निर्देश में शामिल किया जाए। इस पर न्यायमूर्ति कृष्ण राव ने कहा कि यह फिलहाल मौखिक सुझाव है और जरूरत पड़ने पर लिखित निर्देश भी दिया जा सकता है।  

संयम बरतने की सलाह

कल्याण बनर्जी ने यह भी दलील दी कि राजनीतिक व्यक्तियों को अधिक संयम बरतना चाहिए और सार्वजनिक तौर पर ऐसे विवादों को तूल नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या राज्यपाल के संवैधानिक पद को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा मुकदमा दायर किया जाना उचित था।  
इस पर राज्यपाल के अधिवक्ता धीरज त्रिवेदी ने तर्क दिया कि राज्यपाल की कुर्सी राजनीतिक नहीं होती और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।  

शपथ ग्रहण विवाद बना कानूनी लड़ाई की वजह  

यह मामला पिछले साल उस समय उठा जब दो नवनिर्वाचित तृणमूल विधायकों – सायंतिका बनर्जी (बरानगर सीट) और रेयात हुसैन सरकार (भगवानगोला सीट) – के शपथ ग्रहण को लेकर विवाद हुआ।  
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा था कि दोनों विधायक राजभवन में आकर शपथ लें, जबकि नवनिर्वाचित विधायकों ने विधानसभा में शपथ लेने की इच्छा जताई। यह मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता गया और राजनीतिक गर्मागर्मी का रूप ले लिया।  

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और तृणमूल नेताओं पर किया मुकदमा

इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने राज्यपाल की आलोचना की। इसके बाद राज्यपाल ने हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। इस मुकदमे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम सबसे पहले शामिल किया गया । 
 
अदालत ने टकराव से बचने की दी सलाह

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर दोनों पक्षों को कानूनी टकराव से बचने और आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की सलाह दी। अदालत का मानना है कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को टकराव के बजाय आपसी संवाद से समस्याओं का हल निकालना चाहिए। अब देखना होगा कि क्या ममता सरकार और राज्यपाल इस कानूनी लड़ाई को खत्म करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाते हैं या नहीं।