उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले का समापन हो गया। महाकुंभ ने सुर्खियां भी बहुत बटोरीं लेकिन मीडिया कवरेज को लेकर सवाल भी खड़े हुए। 144 साल बाद आए खास महाकुंभ की कवरेज जैसी होनी चाहिए थी, वैसी नहीं हुई। मेन स्ट्रीम मीडिया के एक बड़े सेक्शन से लेकर डिजिटल मीडिया, यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स को महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता को जिस अंदाज में कवर करना था, उसमें कहीं बड़ी चूक हुई है। महाकुंभ की मीडिया कवरेज ने "पीपली लाइव" की याद ताजा कर दी। चंद चेहरों के आसपास ही पत्रकार मंडराते रहे। आइए आपको बताते हैं वो कौन लोग थे जिनको मीडिया ने जरूरत से ज्यादा कवर किया।
माला वाली मोनालिसा
रुद्राक्ष की माला बेचने वाली मोनालिसा भोंसले अपनी खूबसूरत आंखों के कारण चर्चा में आईं। सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। उसके बाद मीडिया ने भी इंटरव्यू करना शुरू कर दिया। पत्रकारों में मोनिलसा का इंटरव्यू करके टीआरपी बटोरने की होड़ लग गई। चर्चा ये भी हुई कि मेले में आने वाले लोगों से घिरी रहने वाली मोनालिसा जल्द किसी फिल्म में भी नजर आ सकती हैं।
IIT वाले बाबा
कुंभ में दूसरे शख्स IIT वाले बाबा हैं। इनका मूल नाम अभय सिंह है। इन्होंने आईआईटी मुंबई से पढ़ाई की है इसलिए इनको IIT बाबा के नाम से चर्चित हुए। तमाम सिद्ध साधु संतों की भीड़ में सबसे ज्यादा चर्चा इन्हीं IIT वाले बाबा की हुई। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीर और क्लिप खूब वायरल हुई। मीडिया ने इनके सहारे अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया। देखते ही देखते हर चैनल पर IIT वाले बाबा दिखने लगे और बाबा ने भी किसी पत्रकार को निराश नहीं किया। सबको इंटरव्यू दिए और हर इंटरव्यू में खूब बोले। कुंभ भले ही खत्म हो गया वो लेकिन कुछ लोग बाबा की लोकप्रियता को अब भी भुनाने में लगे हैं।
दातुन वाला लड़का
मेले में सिर्फ दातुन बेच कर मोटी रकम कमाने वाला लड़का भी मीडिया और सोशल मीडिया की हिटलिस्ट में रहा। इस लड़के को भी जरूरत से ज्यादा कवरेज मिली। लड़के को दातुन बेचने का आइडिया इसकी गर्लफ्रेंड से मिला था जिसको इसने खूब कैश कराया। जानकारी के मुताबिक लड़के ने दातुन बेच कर करीब 50 हजार कमा लिए।
कांटे वाले बाबा
मीडिया में सुर्खियां बटोरने वालों में कांटे वाले बाबा भी शामिल रहे। कांटों के बीच लेटे एक बाबा का वीडियो पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और उसके बाद मीडिया ने भी अपने प्लेटफॉर्म पर जगह दी। कांटे वाले बाबा से एक महिला की भिड़ंत भी चर्चा में रही थी। महिला के साथ झगड़े का वीडियो वायरल हुआ तो लोगों ने बाबा को सपोर्ट किया और महिला की आलोचना की। सहानुभुति बाबा के हिस्से में आई और उससे भी उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ।
बात इतनी भर नहीं है। और भी कई लोगों को मीडिया ने तरजीह दी। अभिनेत्री से साध्वी बनी ममता कुलकर्णी, डिजिटल स्नान कराने वाली महिला, अनाज बाबा, चिमटा बाबा और 37 साल बाद मिले दो स्कूली दोस्त की जोड़ी भी सुर्खियों में रही। कहावत है "कुंभ के मेले में बिछड़ जाना" लेकिन यहां कुंभ के मेले में लंबे अरसे से बिछड़े दोस्तों का मिलन हुआ और उस मिलन का वीडियो भी खूब वायरल हुआ।
अब सवाल फिर मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका पर। चैनलों ने अपनी TRP बटोरी। अखबारों ने पाठक संख्या बढ़ाई। यूट्यूबर्स ने व्यूज बढ़ाए और सोशल मीडिया ने अपने फैंस जोड़े। बड़ा सवाल वही है कि जिस धार्मिक आयोजन में 67 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और गंगा जी डुबकी लगाई उसकी दिव्यता और भव्यता की कवरेज करने के बजाय कुछ चेहरों के पीछे पीछे भागने से मीडिया के एक बड़े हिस्से की साख भी डूब गई।
मीडिया अपने प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता को बढ़ाने के मकसद से जब भी किसी व्यक्ति विशेष को जरूरत से ज्यादा तवज्जो देता है तो इसमें कोई शक नहीं कि वो शख्स भी लोकप्रिय हो जाता है। लेकिन एक सच ये भी है कि बाद में मीडिया को जब कोई दूसरा चेहरा मिल जाता तब वो पहले वाले को भुला देता है। उदाहरण ने किए, एक जमाने में पहलवान खली, धावक बुधिया, गड्ढे में गिरने वाला प्रिंस और राखी सावंत ने मीडिया को खूब TRP दिलवाई। ये सब आज कहां किस हाल में हैं लोग नहीं जानते और मीडिया भी इनकी सुध नहीं लेता।