महाकुंभ का समापन त्रिग्रही योग में: गंगा स्नान से मिलेगा अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य
Date: 2025-02-23
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में इस बार करोड़ों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। इस महाकुंभ की शुरुआत एक दुर्लभ संयोग से हुई थी, जो 144 वर्षों बाद बना, और अब इसका समापन भी एक विशेष मुहूर्त में होने जा रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार महाकुंभ का समापन त्रिग्रही योग में होगा, जो कुंभ राशि में बन रहा है। माना जा रहा है कि इस त्रिग्रही योग में महाकुंभ के अंतिम स्नान में डुबकी लगाने वालों को अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलेगा। इसके अलावा यह योग कुछ राशियों के लिए भी विशेष रूप से लाभकारी रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव कुमार दीक्षित के मुताबिक, इस त्रिग्रही योग का निर्माण तीन प्रमुख ग्रहों- सूर्य, शनि, और बुध के कुंभ राशि में गोचर करने से हुआ है।
बुध 11 फरवरी को, सूर्य 12 फरवरी को और शनि पहले से ही इस राशि में मौजूद थे।
इन तीन ग्रहों का एक ही राशि में उपस्थित होना एक अद्भुत त्रिग्रही योग बना रहा है, जो ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष संकेत देता है।
कुछ राशियों के लिए यह योग बेहद शुभ साबित हो सकता है। मेष, वृषभ, मिथुन, कन्या और धनु राशि के जातकों को विशेष लाभ मिलेगा।
महाकुंभ में त्रिग्रही योग के दौरान डुबकी का महत्व:
इस विशेष त्रिग्रही योग में महाकुंभ का समापन हो रहा है। इस समय गंगा स्नान करने से पितृदोष, शनि पीड़ा, रोग, और अन्य कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
जो लोग इस योग के दौरान महाकुंभ में डुबकी लगाएंगे, उन्हें अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलेगा और उनके सारे पाप नष्ट होंगे।
महाकुंभ का समापन योगों के साथ:
महाकुंभ का अंतिम स्नान 26 फरवरी को होगा, जो महाशिवरात्रि के दिन पड़ रहा है। यह दिन बुधवार को आएगा।
इस दिन महाकुंभ का समापन होगा, और ज्योतिषियों के अनुसार, यह समय विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है। त्रिग्रही योग के साथ महाशिवरात्रि, शिव योग, सिद्ध योग और बुधादित्य योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ा रहे हैं।
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