केंद्र सरकार ने विदेशों से होने वाली घुसपैठ और अप्रवास को रोकने के लिए अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 को लोकसभा में पेश कर दिया है । मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा ।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी को भारत में आने से रोकने के लिए नहीं लाया जा रहा है बल्कि इसलिए लाया जा रहा है ताकि जो लोग यहां आएं वो भारत के कानून का पालन करें । केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिहाज से यह बिल बहुत जरूरी है ।
चार पुराने कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि सरकार अप्रवास और विदेशियों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए चार अधिनियमों को निरस्त करके एक व्यापक कानून लाने के लिए यह विधेयक लेकर आई है ।
उन्होंने सदन को बताया कि इन चार में से तीन अधिनियम संविधान लागू होने से पहले के समय के हैं । दो अधिनियम तो प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के असाधारण समय के दौरान लाया गया था । इसलिए इसे बदलना जरूरी है ।
जिन कानूनों को समाप्त किया जाएगा वो हैं , फॉरेनर्स एक्ट 1946, पासपोर्ट एक्ट 1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट 1939 और इमिग्रेशन एक्ट 2000 ।
नित्यानंद राय ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार संविधान पूर्व कानूनों की समीक्षा कर रही है । यह विधेयक भी इसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है ।
अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 का मुख्य उदेश्य
नया कानून राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता देते हुए तैयार किया गया है। विधेयक के कानून बनने के बाद सरकार को विशेष शक्तियां प्राप्त होंगी, जो विदेशी नागरिकों के प्रवेश और निवास को नियंत्रित करेंगी । इससे पासपोर्ट, वीज़ा और विदेशी पंजीकरण जैसे कार्य और सुव्यवस्थित होंगे ।
भारत के बाहर किसी भी स्थान से आने वाला कोई भी व्यक्ति भारत में हवाई, जल-थल मार्ग से प्रवेश नहीं करेगा जब तक कि उसके पास वैध पासपोर्ट, अन्य यात्रा दस्तावेज या वैध वीजा न हो।
भारत में उपस्थित किसी भी विदेशी को वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेज और वैध वीजा रखने की भी आवश्यकता होगी, बशर्ते जब तक कि धारा 33 के तहत या अंतर-सरकारी समझौतों के माध्यम से छूट न दी गई हो ।
बता दे कि पहले भी किसी नागरिक को भारत में प्रवेश से रोकने का अधिकार था, लेकिन किसी कानून में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया था । इस प्रस्तावित कानून के तहत, आव्रजन अधिकारी के निर्णय को अंतिम और बाध्यकारी माना जाएगा।
कानून तोड़ने पर कठोर सजा का प्रावधान
इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल, 2025 बिल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता देते हुए विदेशी नागरिकों के प्रवेश और निवास को कड़े नियमों के दायरे में लाने का प्रस्ताव करता है ।
इसमें प्रावधान किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति की मौजूदगी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनती है या फिर वह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में अवैध रूप से नागरिकता प्राप्त करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बिल में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई विदेशी नागरिक बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के भारतीय सीमा में दाखिल होता है तो उसे पांच साल की कैद के साथ पांच लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है । फिलहाल, कैद के साथ 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का ही प्रावधान है ।
अगर कोई विदेशी नागरिक फर्जी पासपोर्ट या ट्रैवल डॉक्यूमेंट की मदद से भारत में दाखिल होता है तो उसकी सजा कम से कम दो साल और अधिकतम सात साल तक हो जाएगी । इसके साथ ही जुर्माना 1 लाख रुपये से बढ़कर 10 लाख रुपये तक हो सकता है । अभी तक इस अपराध के लिए 8 साल की कैद और 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान था ।
नए बिल के तहत यदि कोई विदेशी नागरिक वीजा एक्सपायर होने के बाद भी भारत में अवैध रुप से रहता है तो उसे 3 साल तक की कैद और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है ।
बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों पर भी कसेगा शिकंजा
भारत में बांग्लादेश से होने वाला अवैध घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है । कानून की कमियों का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ करते हैं और अवैध तरीके से अपना ठिकाना बना लेते हैं । माना जाता है कि इस वक्त भारत में दो करोड़ से ज्यादा बांग्लादेशी अवैध रुप से रह रहे हैं । ये लोग न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ाते हैं बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी समस्या खड़ी करते रहते हैं । नए कानून के अमल में आने के बाद इन लोगों पर भी शिकंजा कसना आसान हो जाएगा ।
कांग्रेस और तृणमूल ने किया विरोध
नित्यानंद राय के सदन में अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पेश करने के बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की ओर से इसका विरोध किया गया । कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और तृणमूल सांसद सौगत राय ने इसका विरोध किया । मनीष तिवारी ने कहा कि नया बिल संविधान के प्रावधानों के मुताबिक नहीं है और इसके कई नियम मूलभूत अधिकारों का हनन करते हैं ।
उदाहरण देते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसमें विदेशी नागरिकों के अस्पताल में भर्ती होने तक का ब्यौरा मांगा गया है जो कि मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है । उन्होने बिल को वापस लेने या फिर ज्वायंट पार्लियामेंट्री कमेटी में भेजे जाने की भी मांग की । तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने यह कहते हुए बिल का विरोध किया कि देश में पहले से ही इससे संबंधित कानून है ।
नित्यानंद राय ने इसका जवाब देते हुए कहा कि विदेशी नागरिकों के रहने और उनकी सुरक्षा के लिए अस्पताल पहले भी जानकारी मुहैया कराते आए हैं , लेकिन यह प्रावधान अभी आदेश के रूप में है । अब इसे कानून के रूप में लाया जा रहा है ।