भारत आए शिवाजी महाराज के 'वाघ नख' की क्या है कहानी ? उन्होंने क्यों फाड़ दिया था अफजल खान का पेट?

Date: 2025-03-04
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मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस्तेमाल किया गया ‘वाघ नख’ अथवा बाघ के पंजे के आकार का हथियार बुधवार को लंदन के एक संग्रहालय से मुंबई लाया गया। अब सतारा में इसका भव्य स्वागत किया जाएगा। 

शिवाजी महाराज का यह हथियार ‘वाघ नख’ जोकि लंदन के एक म्यूजियम में रखा हुआ था। महाराष्ट्र सरकार के प्रयास से तीन साल के लिए भारत वापस लाया गया है। बता दें कि संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया है कि बाघ नख को वापस लाने में 14.8 लख रुपए की लागत आई है। 


तीन साल तक भारत में प्रदर्शित किया जाएगा ‘वाघ नख’ 

राज्य के संस्कृति मंत्री सुधीर मुंडन मुनगंटीवार ने संवाददाताओं से कहा कि इस वाघ नख को अब पश्चिम महाराष्ट्र के सतारा में स्थित छत्रपति शिवाजी संग्रहालय ले जाया जाएगा। जहां पर 19 जुलाई से आम लोगों के लिए इसका प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा। 

महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के मुताबिक लंदन का संग्रहालय शुरू में हथियार को एक साल के लिए देने पर सहमत हुआ, लेकिन राज्य सरकार ने इसे तीन साल के लिए राज्य में प्रदर्शन के लिए सौंपने के लिए राजी कर लिया।

वाघ नख क्या है? 

कहते हैं कि ‘वाघ नख’ नाम के इस हथियार का इस्तेमाल सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही किया था।  एक तरह का हथियार है, जो आत्मरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे इस प्रकार डिजाइन किया जाता है जिससे यह पूरी मुट्ठी में फिट हो सके। 

यह स्टील और दूसरी धातुओं से तैयार किया जाता है। इसे चार नुकीली छड़ें होती हैं जो एक बाघ के पंजे जैसी घातक और नुकीली होती है और इसके दोनों तरफ दो रिंग होती हैं। इसे हाथ की पहली और चौथी उंगली में पहनकर ठीक तरह से मुट्ठी में फिट किया जाता है। यह इतना खतरनाक होता है कि एक ही वार में किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है। 

आखिर शिवाजी ने क्यों चीरा था अफजल खान का पेट? 

इतिहासकारों के अनुसार, 1659 में शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को अपने ‘वाघ नख’ से चीर दिया था। उस दौरान बीजापुर सल्तनत के प्रमुख आदिल शाह और शिवाजी के बीच युद्ध चल रहा था। 

अफजल खान ने छल से शिवाजी को मारने की योजना बनाई थी और उन्हें मिलने के लिए बुलाया था। शिवाजी ने अफजल खान के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया था। जब शामियाने में मुलाकात के दौरान उसने शिवाजी की पीठ में खंजर भोंकने की कोशिश की, तो पहले से ही सतर्क शिवाजी ने बाघ नख से एक ही झटके में अफजल का पेट चीर दिया था। तब से शिवाजी का बाघ नख शौर्य का प्रतीक बना हुआ है। यही कारण है कि लोगों में इसे लेकर काफी आस्था है।