वाराणसी की रंग भरी एकादशी क्यों है खास? जानें इसका महत्व

Date: 2025-03-11
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होली के त्योहार की शुरुआत हर जगह अलग-अलग दिनों में हो जाती है। जैसे कि बरसाना और ब्रज में होली बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है। वाराणसी में रंग भरी एकादशी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर माता गौरा का गौना कराकर वाराणसी पहुंचे थे। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के परिवार संग होली भी खेलते हैं। काशी में दशकों से इस रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ और माता गौरा के गौना रस्म के रूप में मनाया जाता है। यहां वाराणसी के प्राचीन गलियों से बाबा विश्वनाथ माता गौरा अपने पूरे परिवार संग पालकी पर सवार होकर गुजरते हैं और इन्हीं गलियों में मौजूद लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य के साथ होली खेलते हैं। मान्यता है कि इस दिन से ही एक दूसरे को रंग लगाने की शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है। रंगभरी एकादशी के दिन लोग व्रत भी रहते हैं और विधि विधान से भगवान शंकर का पूजा-अर्चना करते हैं। रंगभरी एकादशी केवल आस्था और भक्ति का पर्व नहीं है, बल्कि यह रंगों और आनंद का भी प्रतीक है। अगर आप शिव और विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और अपने जीवन में सकारात्मकता को अपनाएं। चलिए आपको बताते हैं किस तरह से यहां होली मनाई जाती है साथ ही होली का यहां क्या महत्व है।


ऐसे मनाते हैं होली का पर्व 

इस दिन बाबा विश्वनाथ और माता गौरी का श्रृंगार किया जाता है। साथ ही गाजे-बाजे के साथ हर कोई नाचता हुआ होली का त्योहार मनाता है। इसी के साथ पहली बार माता पार्वती ससुराल के लिए प्रस्थान करती हैं और काशी में रंगोत्सव का उत्सव शुरू हो जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता गौरा को विवाह के बाद पहली बार काशी लेकर आए थे। इस मौके पर भोलेनाथ ने अपने गणों के साथ मिलकर इसे रंगों के साथ मनाया था। तभी से इस तरह की होली मनाने की परंपरा चली आ रही है। 


ऐसे होती है काशी में पूजा

1. इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके पूजा के स्थान पर भगवान शिवजी और माता गौरी की मूर्ति स्थापित की जाती हैं।

2. इसके बाद भगवान को गुलाल,पुष्प और बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं। 

3. फिर एक शुद्ध घी का दीया जला कर, कपूर के साथ आरती की जाती है। 

4. पूजा के दौरान उन्हें श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है। 

5. पूरे दिन भजनकीर्तन और रामनाम का जप किया जाता है।