देश भर में होली को लेकर लोगों में काफी अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजार रंग-बिरंगे गुलाल और पिचकारियों से सज-धज कर तैयार हो चुकी है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। इस बार होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरु हो जाएगी, जिसका समापन 14 मार्च को 12 बजकर 23 पर होगा। ऐसे में 14 मार्च को होली खेली जाएगी। वहीं, होलिका दहन 13 मार्च को होगा। देश के अलग-अलग जगहों पर होली के दिन अलग-अलग देवी-देवताओं के पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा-अर्चना करना काफी खास माना जाता है। अब आपके मन में यह सवाल चल रहा होगा की होली के दिन किन देवी-देवताओं की पूजा बेहद जरूरी है। साथ ही पूजा आराधना करने के लिए किन-किन सामग्रियों की जरूरत होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि होली पर किसकी पूजा करने से आपको लाभ मिल सकता है।
महादेव की करें पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होली की एक कथा भगवान शिव से भी संबंधित मानी जाती है। एक कथा के अनुसार संसार की पहली होली भगवान शिव ने खेली थी। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती शिव जी से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन शिव जी तपस्या में लीन थे। पार्वती की इन कोशिशो को देखकर प्रेम के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया, जिसके कारण शिव की तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने की वजह से शिव नाराज हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद महादेव की दृष्टि माता पार्वती पर गई। माता पार्वती की इच्छा पूरी हुई और भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह रचा लिया।
लेकिन कामदेव के भस्म होने के बाद उनकी पत्नी रति को असमय ही वैधव्य सहना पड़ा। फिर रति ने शिव की आराधना की, इसके बाद जब शिव जी अपने निवास पर लौटे तब रति ने उनसे अपनी व्यथा कही। इसके बाद शिव जी कामदेव को जीवित कर दिया। उसे नया नाम दिया मनसिज। भगवान शिव ने उनसे कहा कि अब तुम अशरीर ही रहोगे। इसी कारण होली के कई लोकगीतों में रति विलाप के गीत भी मिलते हैं। इसके बाद से ही होली का त्योहार मनाया जाने लगा। गुलाल से होली खेली गई और हर ओर मधुर संगीत फैल गया। बता दें कि होली पर काशी में चिता की राख से होली खेली जाती है, जिसे हम लोग मसाने की होली के नाम से जानते हैं। ऐसे में होली पर आपको शिव मंदिर में जाकर घी का दीपक जलाएं और शिव जी का जलाभिषेक करें। ऐसा करने से शिव जी की विशेष कृपा आपके ऊपर बनी रहती है।
कृष्ण-राधा की करें पूजा
द्वापर युग की कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण शिशु थे, तब कंस ने उन्हें मारने के लिए पूतना नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा। फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन पूतना ने अपने स्तन पर विष लगाकर कान्हा को स्तनपान करवाया,लेकिन कान्हा ने दूध पीते पीते पूतना का ही वध कर दिया। बचपन में पूतना के द्वारा जहरीला दूध पिलाने के कारण भगवान श्री कृष्ण का रंग और भी नीला हो गया। अपने रंग से खुद को अलग महसूस करने पर कृष्ण को लगा कि उन्हें इस रंग के कारण ना तो राधा और ना ही कोई गोपिया पसंद करेंगी। उनकी परेशानी देखकर माता यशोदा ने उनसे कहा कि वह जाकर राधा रानी को अपने पसंद के रंग में रंग दे। माता यशोदा के कहे अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने राधा पर रंग डाल दिया। इस प्रकाश श्री कृष्णा और राधा न केवल अलौकिक प्रेम में डूब गए बल्कि रंगों के त्योहार होली को भी उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।